मोबाइल और सोशल मीडिया एडिक्शन 

मोबाइल एडिक्शन क्या है ?

मोबाइल जीवन का एक हिस्सा बन के रह गया है ये गलत नहीं  है मगर इसका एडिक्ट हो जाना ये सही नहीं है  हम अक्सर भूल जाते है कोई भी चीज हम पे हावी हो जाये और हम उसके आदि हो जाये तो इसका प्रभाव हमारे दिमाग और शरीर पर बुरा  असर डालता है. ज्यादातर बच्चे बाहर खेलने के बजाय मोबाइल में गेम खेलना पसंद करते है और नवजवान युआ की बात करे तो वो  अपने फ्रेंड्स सोशल मीडिया पे ज्यादा और बाहर दोस्ती कम रखना पसंद करते।




दो दोस्त एकदूसरे के सामने  बैठे  हो तो वो आपस में कम और मोबाइल में चैटिंग  ज्यादा करेंगे  आज का जनरेशन वर्चुअल दुनिया में ज्यादा जी रहा है. जो इंसान मोबाइल एडिक्ट है वो खानेकी टेबल से टॉयलेट की सीट तक मोबाइल का यूज़ करता है  इस सिम्प्टम्स को  मेडिकल के भाषा में "nomophobia" कहा जाता है इसका मतलब  "fear of being without a mobile phone" आपको हर समय डर लगेगा मोबाइल से अलग होने का। आपका दिमाग एक टाइम पे  एकहि काम को फोकस कर सकता है अब आप मोबाइल पे मल्टीप्ल टास्क करते रहोगे तो आप असल जीवन में फोकस नहीं कर पावोगे। 

मोबाइल एडिक्शन कम कैसे करे 

आप हर रोज सुबह उठकर फिजिकल एक्टिविटी करे उसमे रूँनिग जॉगिंग योग कर सकते है  आप डेली रुटीन फॉलो करे जैसे की खाना खाते वक्त मोबाइल का उपयोग नहीं करना है आप मोबाइल से ध्यान हटाकर बुक्स में लगाए।  दूसरी एक्टिविटी में लगाए।